नशा किसी भी समस्या का समाधान नहीं अपितु सभी समस्याओं की जड़ है।
क्योंकि अत्याधिक नशीले पदार्थो के सेवन से लीवर में सूजन, अल्सर, पीलिया नपुंसकता जिगर से सम्बन्धित बीमारियां, नाड़ी संस्थान के विभिन्न रोग बेहोशी तथा अन्य अनेकों प्रकार की व्याधियाँ जन्म लेती है। रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता क्मशः क्षीण होती जाती है और व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा कम हो जाती है। मानसिक दुर्बलता, क्रोध उत्तेजना, संदेह, स्मृतिनाश व विभिन्न प्रकार की मनोकृतियाँ नशे की ही देन है प्रकार की मनोकृतियाँ नशीले पदार्थो की ही देन है। अपराधों एवं दुर्घटनाओं की जनजी है नशीले पदार्थ, क्योंकि कोई भी कुकृत्य होशपूर्ण अवस्था में करने का साहस न रखने वाला व्यक्ति नशे के उन्माद में सहज ही ढ़ेरों अपराध व दुर्घटनाओं का कारण बनता है। व्यक्तित्व, पारिवारिक एवं सामाजिक विघटन के लिये उत्तरदायी है। क्योंकि नशे के कारण व्यक्ति टूटता है, परिवार टूटता है सुहाग उजड़ते है, स्त्री जाति अपमानित होती है लोग दीवालिया बनते हैं घर बिकते हैं, खून होते है और मानवता नष्ट होती है इसलिये कहा गया है
Most people do. And even though people work hard to earn their money, many give some of it away, often to help strangers.
You have not lived today until you have done something for someone who can never repay you. You can support us to better future.
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We aim to provide all the funds required for a Drug de-addiction Support
बीड़ी, सिगरेट, गांजा, भांग, अफ़ीम या चरस पीने वालों को जब भरपूर नशा प्राप्त नहीं होता है, तब वे शराब और हेरोइन जैसे मादक पदार्थो की ओर अग्रसर होते हैं । नशा किसी प्रकार का भी हो व्यक्तित्व के विनाश, निर्धनता की वृद्धि और मृत्यु के द्धार खोलता है। इस के कारण परिवार तक टूट रहे हैं। आज का युवा शराब और हेरोइन जैसे मादक पदार्थो का नशा ही नहीं बल्कि कुछ दवाओं का भी इस्तेमाल नशे के रूप में कर रहा है। इस आसुरी प्रवृत्ति को समाप्त करना परमावश्यक है। सबसे खराब स्थिति उन बच्चों की होती है जो बालिग नहीं होते, मा-बाप की रोज के झंझट या वादविवाद का उनके अन्र्तमन में बुरा प्रभाव पड़ता है, ऐसे बच्चे मानसिक रूप से अन्य बच्चों की अपेक्षा पिछड़ जाते हैं । घर का अच्छा माहौल न मिलने से उनमें दब्बूपन आ जाता है और वे हमेशा डरे-डरे रहते हैं । अपने सहपाठियों से खुलकर बात नहीं कर पाते।
“जो राष्ट्र नशे की आदत का शिकार है उसके सामने विनाश मुँह खोले खड़ा है। इतिहास में इसके कितने ही प्रमाण हैं कि इस बुराई के कारण अनेकों ही साम्राज्य मिट्टी में मिल गये, जिस पराक्रमी यादव वंश में श्री कृष्ण ने जन्म लिया, वह इस बुराई के कारण नष्ट हो गया, रोमन साम्राज्य के पतन का कारण निःसन्देह यह भयंकर बुराई नशा ही थी। “नशा शारीरिक, नैतिक और आर्थिक सभी दृष्टियों से व्यक्ति को नष्ट करता है, नशे की दुकानें समाज के लिये अकथनीय अभिशाप है अतः नशा को चोरी, यहाँ तक की वेश्यावृत्ति से भी अधिक निन्दनीय मानता हूँ
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