अभी आपने इन नशीली दवाओं के बारे में अखबारों में पढ़ा या दूरदर्शन पर देखा होगा। जरा ध्यान दें कहीं ये नशीले पदार्थ आपके ही घर में तो नहीं घुसने जा रहे हैं अगर आपको अगले पृष्ठों पर दिये गये चिन्ह अपने पुत्र, भाई या मित्र में दिखाई दे रहे हों तो सतर्क हो जाइये और तुरन्त कार्यवाही करिये । कहीं देर न हो जाये। जैसा कि हम सभी जानते है ध्रूमपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे कैंसर जैसी जानलेवा बिमारी होती है और यह चेतावनी सभी तम्बाकू उत्पादों पर अनिवार्य रूप से लिखी होती है, लगभग सभी को यह पता भी है। परन्तु लोग फिर भी इसका सेवन बड़े ही चाव से करते हैं। यह मनुष्य की दुर्बलता ही है कि वह उसके सेवन का आरंभ धीरे-धीरे करता है पर कुछ ही दिनों में इसका आदी हो जाता है, एक बार आदी हो जाने के बाद हम इसका सेवन करें न करें, तलब ही सब कुछ कराती है ।
नशा एक गंभीर समाजिक बुराई है। नशा एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है । नशे के लिये समाज में शराब, गांजा, भांग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू और ध्रूमपान (बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम) सहित चरस, स्मैक, कोकिन, ब्राउन शुगर जैसे घातक मादक दवाओं और पदार्थो का उपयोग किया जा रहा है । इन जहरीले और नशीले पदार्थो के सेवन से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुंचानें के साथ ही इससे सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता है।
➽ देर रात्रि घर पर लौटना।
➽ नये-नये मित्रो का दिखाई देना।
➽ जेब खर्च बढ़ते जाना।
➽ क्षणिक उत्तेजना या चिडचिडापन।
➽ थकावट बैचेनी अनिद्राग्रस्त रहना बोझिल पलकें आंखे में चमक व चहरे पर भाव शून्यता।
➽ धूप के चश्मे का प्रयोग आंखो के लाली छिपाने के लिये बराबर करते रहना।
➽ परिवार के सदस्यों से दूर-दूर रहना।
➽ भूख न लगना व वजन का गिरते जाना।
➽ उल्टियां होना।
➽ निरोधक शक्ति कम हो जाने के कारण अक्सर बीमार रहना।
➽ नीद न आना खांसी के दौरे पडना।
➽ अल्पकालीन स्मृति में हास।
➽ त्वचा पर चकत्ते पड़ जाना।
➽ पेरौ की उंगलियों पर जले के निशान होना।
➽ भुजाओ पर सुई के निशान दिखाई देना।
➽ नशीलीदवा न मिलने पर आंखो व नाक से पानी बहना, शरीर में दर्द खासी उल्टी व बैचेनी होना।
➽ व्यक्तिगत सफाई पर ध्यान न देना तथा बाल बिखरे रहना कपड़े अस्त व्यस्त रहना नाखून बडे रहना कई दिन तक स्नान न करना
आदत के तौर पर झूँठ बोलना तर्क-वितर्क करना घरेलू सामानों का एक-एक कर गायब होते जाना।
➽ मिठाईयो के प्रति आकर्षण बढ़ जाना।
➽ रात में उठकर सिगरेट पीना।
➽ शौचालय में देर तक रहना।
➽ प्रातः जल्दबाजी में घर से बाहर चले जाना।
➽ कपडों पर सिंगरेट से जले हुए छिद्र दिखाई देना।
➽ स्कूल कॉलेज में उपस्थिति कम होते जाना।
➽ शैक्षिक उपलब्धियों में लगातार गिरावट आते जाना।
➽ सावधानी से ली गयी तलासी में लतों के सामानों में माचिस मोमबत्ती लम्बी शीशे की ट्यूब तथा एल्मूनियम कॉयल व पाउडर के रूप में दवा मिल सकती है।
➽ उसे स्पष्ठ कर दीजिये कि आप उसकी आदत छुडाने के लिये दृढ़ प्रतिज्ञ है।
➽ उसकी घर से बाहर की समस्त गतिविधियां तत्काल बन्द करा दीजिये।
➽ यदि वह स्कूल जाता है तो उसे स्कूल ले जाने व वापस लाने की जिम्मेदारी अपने ऊपर लीजिये।
➽ उसके जेब खर्च पर कड़ा नियन्त्रण रखिये।
➽ दवा छोड़ देने की उसकी प्रतिज्ञाओं पर विश्वास न कीजिये।
➽ समय-समय पर उसके सामानों की तलासी लेते रहिये।
➽ उनके मित्रों को परखिये।
➽ यदि उसे नशीली दवायें स्कूल में ही प्राप्त हो जाती हों तो उसे स्कूल से हटा दीजिये।
➽ उसकी फोन कॉलों पर नजर रखिये।
➽ तुरन्त अपने चिकित्सक की राय से उसका मनो चिकित्सकीय परीक्षण विशेषज्ञ से कराईये।
➽ क्या आप इस भ्रम में नशा करते हैं कि यह शक्तिप्रदायक व स्फूर्तिकारक है?
➽ क्या आप चिन्ता, तनाव, कुण्ठा, एकाकीपन दूर करने के लिये नशे का सहारा लेते है?
➽ क्या आप सामाजिक और पारिवारिक उपेक्षा के कारण नशे की शरण लेते है?
➽ क्या आप भावानात्मक रुप से असफल रहने पर नशा करते है?
➽ क्या आप नशे में मनोरंजन तलाशते हैं?
➽ क्या आप के लिये घनिष्ठता बढ़ाने का जरिया नशा है?
➽ क्या आपके लिये संगी, साथी आपको नशे के लिये प्रेरित करते है?
➽ क्या आप फैशन के कारण सामाजिक प्रतिष्ठा की चाह में मित्रों के साथ मौजमस्ती व विवाह/उत्सव आदि में नशे का सेवन करते हैं?
➽ क्या आप झूठी शान, दिखावा या कुसंगति के फेर में पड़कर नशा करते हैं?
➽ क्या आप कार्याधिक्य, कार्य में असफलता संघर्ष या असुरक्षा के चलते नशे की ओर उन्मुख होते हैं?
नशा किसी भी समस्या का समाधान नहीं अपितु सभी समस्याओं की जड़ है।
क्योंकि अत्याधिक नशीले पदार्थो के सेवन से लीवर में सूजन, अल्सर, पीलिया नपुंसकता जिगर से सम्बन्धित बीमारियां, नाड़ी संस्थान के विभिन्न रोग बेहोशी तथा अन्य अनेकों प्रकार की व्याधियाँ जन्म लेती है। रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता क्मशः क्षीण होती जाती है और व्यक्ति की जीवन प्रत्याशा कम हो जाती है। मानसिक दुर्बलता, क्रोध उत्तेजना, संदेह, स्मृतिनाश व विभिन्न प्रकार की मनोकृतियाँ नशे की ही देन है प्रकार की मनोकृतियाँ नशीले पदार्थो की ही देन है। अपराधों एवं दुर्घटनाओं की जनजी है नशीले पदार्थ, क्योंकि कोई भी कुकृत्य होशपूर्ण अवस्था में करने का साहस न रखने वाला व्यक्ति नशे के उन्माद में सहज ही ढ़ेरों अपराध व दुर्घटनाओं का कारण बनता है। व्यक्तित्व, पारिवारिक एवं सामाजिक विघटन के लिये उत्तरदायी है। क्योंकि नशे के कारण व्यक्ति टूटता है, परिवार टूटता है सुहाग उजड़ते है, स्त्री जाति अपमानित होती है लोग दीवालिया बनते हैं घर बिकते हैं, खून होते है और मानवता नष्ट होती है इसलिये कहा गया है
जैसा कि हम सभी जानते है ध्रूमपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इससे कैंसर जैसी जानलेवा बिमारी होती है और यह चेतावनी सभी तम्बाकू उत्पादों पर अनिवार्य रूप से लिखी होती है, लगभग सभी को यह पता भी है। परन्तु लोग फिर भी इसका सेवन बड़े ही चाव से करते हैं। यह मनुष्य की दुर्बलता ही है कि वह उसके सेवन का आरंभ धीरे-धीरे करता है पर कुछ ही दिनों में इसका आदी हो जाता है, एक बार आदी हो जाने के बाद हम इसका सेवन करें न करें, तलब ही सब कुछ कराती है ।
“जो राष्ट्र नशे की आदत का शिकार है उसके सामने विनाश मुँह खोले खड़ा है। इतिहास में इसके कितने ही प्रमाण हैं कि इस बुराई के कारण अनेकों ही साम्राज्य मिट्टी में मिल गये, जिस पराक्रमी यादव वंश में श्री कृष्ण ने जन्म लिया, वह इस बुराई के कारण नष्ट हो गया, रोमन साम्राज्य के पतन का कारण निःसन्देह यह भयंकर बुराई नशा ही थी। “नशा शारीरिक, नैतिक और आर्थिक सभी दृष्टियों से व्यक्ति को नष्ट करता है, नशे की दुकानें समाज के लिये अकथनीय अभिशाप है अतः नशा को चोरी, यहाँ तक की वेश्यावृत्ति से भी अधिक निन्दनीय मानता हूँ
The worst situation is of those children who are not adults, the daily hassles or arguments of their parents have a bad effect on their conscience, such children lag behind mentally compared to other children. Due to lack of good environment at home, they become submissive and they always remain scared. Unable to talk openly with their classmates. Due to guilt, they remain scared in front of the teacher. Due to fear of the unknown, nothing that is learned is ignored. Do we, our society and governments ever pay attention to the issues related to the suffering and human rights of such people?
While progress has been made in improving educational facilities across India, at the grassroots level there are many stumbling blocks that range from inadequate infrastructure, low teacher-pupil ratio, and migration of families, amongst others. We support Mritunjay Nasha Mukti Foundation working directly at the grassroots level with the economically and socially disadvantaged to make education accessible (covering rural, tribal, urban, and semi-urban areas) and relevant.
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